खतरे में नौनिहाल, स्पीड गर्वनर तो दूर ड्रायवरों के पास लाइसेंस तक नहीं

उज्जैन | अपने नौनिहालों को स्कूल बसों में बैठाकर बेफिक्र होने वाले अभिभावकों के लिए संभलने का वक्त है…आपके बच्चेे जिन बसों में स्कूल जा रहे हैं वे उनकी जान से खिलवाड़ कर रहे हैं। यह सच शनिवार को ट्रैफिक पुलिस की स्कूलों बसों की जांच में सामने आया है। ट्रैफिक पुलिस ने स्कूल बसों को जब रास्ते में रोककर जांच की तो किसी में स्पीड गवर्नर नहीं मिला तो ड्राइवर बगैर लाइसेंस के बस दौड़ाते मिले। जिन बसों में बच्चों को सुरक्षित माना जा रहा है उनमें ज्यादातर स्कूली बसें खटारा मिली है, जिनकी उम्र पूरी होने आई है। बसों में न परमिट कंपलीट है, न सीसीटीवी कैमरे मिले। स्कूल बसों को लेकर गंभीर लापरवाही तब है जब जिम्मेदार अफसर लगातार बस ऑपरेटर व स्कूल संचालकों को बैठकें लेकर हिदायतें देने का दावा करते रहे हैं। इंदौर में स्कूली बस हादसे के बाद शनिवार को पत्रिका ने ट्रैफिक पुलिस के साथ बसों की पड़ताल में शामिल हुए तो नियम-कायदों को ताक पर रखकर स्कूली बसें दौड़ते मिली।

ये मिले स्कूल बसों के हालत

स्थान: महानंदा नगर चौराहा
समय: १ बजे
बस क्रं: एमपी १३ सी ५३०५
स्कूल: ज्ञान सागर एकेडमी
ये लापरवाही मिली- बच्चों से बस पूरी तरह भरी हुई है। ट्रैफिक पुलिस ने बस को रोककर जांच की तो सीसीटीवी कैमरा, महिला कंडक्टर मिली। बस में महत्वपूर्ण स्पीड गवर्नर नदारद था। यानी बस ड्राइवर अपनी मर्जी से गाड़ी दौड़ा रहा था। ऐसे में जरा-सी लापरवाही से कभी भी बड़ा हादसा हो सकता है।

स्थान: इंजीनियरिंग कॉलेज
समय : १.४० बजे
बस क्रं.: एमपी १३ पी ०२१६
स्कूल: कार्मल कॉन्वेंट
ये लापरवाही मिली: शहर के प्रतिष्ठित स्कूल की बस को जो ड्राइवर चला रहा था, उसके पास लाइसेंस नहीं मिला। उसने निर्धारित ड्रेस भी नहीं पहनी हुई थी। स्कूल बस चलाने वाला यह ड्राइवर अधिकृत था या नहीं इसका पता नहीं चला। बच्चों की जान से हो रहे खिलवाड़ पर इस बस को जब्त कर थाने पहुंचा दिया गया।

स्थान: इंजीनियरिंग कॉलेज
समय : १.४५ बजे
बस क्रं.: एमपी १३ पी ०३३२
स्कूल: सव्य सांची
ये लापरवाही मिलीे: सव्य सांची की स्कूल बस के नाम पर सिर्फ खानापूर्ति भर मिली। बस खटारा होकर सिर्फ रंग-रोगन ही नहीं था। जांच में बस में सीसीटीवी, स्पीड गवर्नर और न ही फस्र्ट एड बॉक्स मिला। बस के ड्राइवर का लाइसेंस चेक किया तो उसके पास सिर्फ फोटोकॉपी मिली।

स्थान: इंजीनियरिंग कॉलेज
समय : २ बजे
बस क्रं.: सीजी ०४ डीबी ४१५०
स्कूल: ऑक्सफोर्ड जूनियर कॉलेज
ये लापरवाही मिली: स्कूल बस में स्पीड गवर्नर और सीसीटीवी कैमरे लगे नहीं मिले। ड्राइवर के पास लाइसेंस तो था लेकिन कलर फोटो कॉपी रखी मिली। हालांकि बस में महिला कंडक्टर अवश्य मिली। बस को चालानी कार्रवाई कर छोड़ दिया गया।

खानापूर्ति: जब्त बसें आधे घंटे में छूटी
स्कूली बसों को लेकर ट्रैफिक पुलिस की कार्रवाई महज खानापूर्ति ही रही। यातायात टीआई सुप्रिया चौधरी नेे जितनी बसों की जांच उनमें ज्यादातर में खामियां निकली। इन्हें जब्ती की बजाय सिर्फ चालान काटकर छोड़ दिया गया। जिन दो बसों को जब्त किया गया वे थाने से महज आधे घंटे में छूट गई। सवाल है कि यातायात पुलिस की कार्रवाई बस ऑपरेटरों को सचेत भर करना था या फिर दिखावा।

कितने बस वाले स्कूल : अधिकतम २०
बस: ४०० स्कूल बस
बच्चे: ३० हजार
परमिट: अधिकतर स्कूल बसों के न तो फीटनेस टेस्ट कंपलीट है और न ही परमिट।

यह है स्कूली बसों के नियम

स्पीड गवर्नर, सीसीटीवी कैमरा व महिला कंडक्टर होना आवश्यक है।
वाहन का रजिस्ट्रेशन, बीमा, फिटनेस व प्रदूषण बोर्ड का प्रमाण पत्र होना जरुरी।
स्कूल बस १५ वर्ष से पुराने नहीं होने चाहिए।
बस में में फस्र्ट एड बॉक्स, अग्निशमन यंत्र व जीपीएस लगा होना चाहिए।
ड्राइवर व कंडक्टर चरित्र, स्वास्थ्य व लाइसेंस का वेरिफिकेशन होना जरुरी।
यह है आरटीओ की कार्रवाई : ४०० बसें सिर्फ ५ के परमिट निरस्त

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